एक मामूली सा शब्द 'विश्वास' कितनी गहरा असर छोड़ जाता है । अलग अलग लोगों के लिए यह शब्द अलग अलग मायने रखता है । विश्वास कोई वस्तु नहीं कि किसी को दे दिया जाए या किसी से ले लिया जाए यह एक भाव होता है जो मन में स्वतंत्रता के बाद जन्म लेता है । कौन आप पर या आप किस पर विश्वास कर रहें हैं इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि किस परिस्थिति में आप वह विश्वास कर रहे हैं । तमाम बार परिस्थितियां मज़बूत हौसलों को भी तोड़ने में कामयाब हो जाती हैं , इसमें हमारी ही कमी होती है और वह है विश्वास की कमी । जब तक हमें हमारे कदमों पर विश्वास है कोई भी उन्हें डगमगा नहीं सकता । सोचिए ! ऐसा ही विश्वास आप पर कोई कर रहा है । इस भौतिकतावादी संसार में आपको कहने के अनगिनत लोग मिल जाएंगे जो कहेंगे उन्हें आप पर पूर्ण विश्वास है । इन्ही सब बाह्य आडम्बरों के बीच एक ऐसा सख़्श होता है जो आप पर अटूट विश्वास किये है , आपके बढ़ते रहने पर विश्वास, आपकी जीत पर विश्वास, आपके काम पर विश्वास । शायद उस सख़्श को ख़ुद पर ऐसा विश्वास न हो जैसे वह आप पर करता है । कई दफ़ा हम हताश हो जाते हैं लेकिन वह हममे एक नया ज़ोर भरता है । वो पिता होता है जो दिल की गहराइयों से आप पर विश्वास किये है । मां एक पल के लिए भावुक हो सकती हैं पर पिता कभी नहीं । मां के आंसू सभी ने देखे होंगे लेकिन पिता की नम आंखें शायद ही कभी देखी हों । ऐसा नहीं है वह कमज़ोर नहीं है पर उसे पता है कि अगर वह कमज़ोर हुआ तो शायद हम भी हो जाएं इसलिए बिना किसी से कुछ कहे वह ख़ुद में एक अगल दुनिया बताना जाता है । कभी समय मिले तो उस दुनिया में जाने की एक कोशिश जरूर करना , निःसंदेह वहां की सारी खुशियों पर बस आपका नाम होगा । कई दफ़ा आपको पता भी नहीं होता है कि आपकी जरूरतों और ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए वो कितनी दूर चला । एक खिलौनों को ख़रीदने के लिए क्या कुछ नहीं किया । कभी समय मिले तो अपने पिता से एक दफ़ा उनके ही लहज़े में बात करना , दुनिया की आधी ख़ुशी आपको सिर्फ़ उन्हें सुनने से मिल जाएगी ।
सम्पूर्ण पितृशक्ति को समर्पित........
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