Friday, March 8, 2019

Towards Infinity

Negative thoughts come in everyone's mind. Who is not depressed or who is not disappointed. The attitude of seeing life is different for everyone. I believe life is a journey, may be your prospective might be different. I am looking for a solution to countless questions and the most ridiculous thing is that I have not been able to reach those questions whose answer I am in search of. This is the most difficult task in human life when he does not know where to go, but to continue walking. Somewhere this is life. I am also going through a similar situation today. I'm looking for something but what? I am also in search of this 'what'? It is not that I am sad or I am depressed. I am not even disappointed. I am not even a victim of negativity. I am just looking for ............ looking for myself. I want to go to infinitely in dim yellow light. I do not have to wait. Just have to go. To go.... Till infinity..... (Contd...)

Monday, March 4, 2019

बदलाव

व्यक्ति के जीवन में किस चीज का कितना महत्व है और वह उसे किस तरह से महत्व देता है, यह देखना बड़ा दिलचस्प होता है । आवश्यकता के अनुसार महत्त्व या महत्व के अनुसार आवश्यकता यह व्यक्ति के विवेक पर निर्भर करता है । संभावनाएं तब तक व्यक्ति के साथ होती हैं जब तक वह जीवित है । हर क्षण नई संभावनाएं जन्म लेती हैं । चूंकि समय अनंत है अतैव संभावनाएं भी अपार हैं । विवेक से संभावनाओं का उचित प्रयोग करना सफलता के कुछ मूल मंत्रों में से एक है । कोई व्यक्ति किसी से कमजोर नहीं है । हर व्यक्ति सफलता के सर्वोच्च शिखर तक जा सकता है किन्तु कुछ भी करने से पहले उस पर विचार करना उससे जुड़ी हरेक संभावना पर भी दृष्टि डालना आवश्यक होता है । समय कहां और किसे मात दे दे यह सिर्फ समय को पता होता है और अगर आपको यह देखना है तो समय के साथ चलिए । इस ब्रह्मांड में सिर्फ़ समय है जो नियत है और निरंतरता इसकी नियति । 'बदलाव' समय का एकमात्र गुण है जो उसे अमूल्य बनाता है । इसलिए समय से साथ बदलना अत्यंत आवश्यक है.............(ज़ारी)

Sunday, March 3, 2019

जीवन (1)

जब एक साधारण व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता ख़त्म हो जाये, क्या करना उचित होगा और क्या अनुचित; जब इनमें भेद करना नामुमकिन सा लगने लगे, जब साफ़ रास्ते भी धुंधले दिखें और जब एक भय मन में इस तरह आ जाये कि वह आपको कुछ करने से रोकने लगे तब यह नकारात्मकता की स्थिति होती है । तमाम बार हमारे नकारात्मक विचार हमारी सकारात्मकता पर ज़्यादा प्रभावी हो जाते हैं । ऐसे में कोई क्या करे जब उस पर नकारात्मकता हावी हो । जब रास्ते साफ़ न दिखाई दे रहे हों तब कोई क्या करे ? ऐसे अनगिनत प्रश्न हैं जिनका उत्तर तो हमारे सामने ही होता है लेकिन वो हमें दिखाई नहीं देता । अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो प्रकाश की एक छोटी सी किरण ही उसे चीर देती है । नकारात्मकता भी वही घना अंधेरा होता है जिसे सकारत्मकता की एक छोटी किरण ख़त्म कर सकती है । किन्तु नकारत्मकता की उस स्थिति में एक भी सकारात्मक विचार नहीं आ पाते, ऐसे में क्या किया जाए ? कभी हमने उस वृक्ष के बारे में सोच है जो पत्थर को चीरकर निकलता है या कभी उन लहरों के बारे में जो सतत और अथक प्रयास से पत्थर को भी काट देती हैं । तमाम बार वह हर कुछ हमारे सामने होता जिसकी हमें तलाश होती है किंतु हम इतने निराश होते हैं कि हम वह सब कुछ देख ही नहीं पाते । हर विषम परिस्थिति में अपने आप को शांत रखना प्रकृति में पूर्ण आस्था रखना और आने वाले कल में अटूट विश्वास रखना ही सकारात्मकता तक ले जाने का एकमात्र उपाय है । हर विषम परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना, सकारात्मकता के साथ उसका हल ढूढ़ना और प्रकृति पर विश्वास रखते हुए साधना पथ पर चलते जाना ही जीवन है..............(जारी)

Saturday, March 2, 2019

आत्म संवाद (1)

क्यों न फ़िर से एक नई कहानी शुरू की जाए । क्यों न फ़िर से एक दूसरे से जुड़ने का ज़रिया निकाला जाए । क्यों न शाम को चौपाल पर बैठकर सबका दुःख दर्द बांटा जाए और क्यों न अपने अंदर के मानवीय गुणों को बाहर निकाला जाए । हम दूसरों से अपेक्षा क्यों करते हैं ? क्या सिर्फ़ इसलिए कि हम मदद स्वयं करने के योग्य नहीं या हम पूरी तरह दूसरों पर निर्भर होना चाहते हैं ? क्यों न कुछ ऐसे प्रश्नों के हल ढूंढने के प्रयास किया जाए जो सिर्फ़ हमें पता है । अगर हम अपने प्रति ईमानदार नहीं हैं तो हम दूसरों के ईमानदार होने की कल्पना भी कैसे कर सकते हैं । बुराईयां और परेशानी कहां नहीं है ? अगर जीवन में उतार चढ़ाव नहीं है तो कैसा जीवन ? चलो ख़ुद से एक प्रश्न करते हैं कि क्या हम वास्तव में वही हैं जो हमें देख या समझ रहे हैं ? क्या हम वास्तव में वही कर रहे हैं जो हमें करना था ? क्या हम उसी राह पर हैं जो हमें हमारी मंज़िल तक ले जाएगी ? ऐसे न जाने कितने प्रश्न हैं जिनका उत्तर खोज़ना शायद बेहद जरूरी है । तो क्या हम अपने निर्माण की राह पर हैं या हमें स्वयं को तलाशने की आवश्यकता है ? आत्म संवाद अत्यंत आवश्यक है । कुछ पल के लिए स्वयं को इस भौतिक संसार से अलग मानकर क्यों न इन प्रश्नों के उत्तर की तलाश की जाए ? या जीवन सिर्फ़ अपेक्षाओं पर चलेगा ? शायद स्वयं का निर्माण नितांत आवश्यक है । क्यों न एक यात्रा स्वयं के तलाश की हो..............(जारी)

एक कदम

पिछले कुछ महीनों में एक बात तो समझ में आ गयी कि इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है। और स्थायित्व की कल्पना करना, यथार्थ से दूर भागने जैसा ह...