नव अंकुर उग आया पथ पर
सफल साधना होवेगी
नव अंकुर नवदीप्त बनेगा
सफ़ल प्रार्थना होवेगी ।
अभंजित विश्वास जगा है
पथ प्रसस्थ तो जाएगा
रही साधना अंतर्मन से
सफ़ल अवश्य हो जाएगा ।
भय से न भय खाना जग में
भय की संध्या बीतेगी
फैला है यदि अंधकार तो
अवश्य विभावरी बीतेगी ।
अंतर्मन में तेज भरो फ़िर
एक गर्जना गूंजेगी
वियज पताका फहरेगा
विजय ध्वनि फिर गूंजेगी ।
हृदय अति आनंदित कर लो
कष्ट सभी मिट जाएगा
अंतर्मन को निर्मल कर लो
जग सुंदर बन जायेगा ।
सफल साधना होवेगी
नव अंकुर नवदीप्त बनेगा
सफ़ल प्रार्थना होवेगी ।
अभंजित विश्वास जगा है
पथ प्रसस्थ तो जाएगा
रही साधना अंतर्मन से
सफ़ल अवश्य हो जाएगा ।
भय से न भय खाना जग में
भय की संध्या बीतेगी
फैला है यदि अंधकार तो
अवश्य विभावरी बीतेगी ।
अंतर्मन में तेज भरो फ़िर
एक गर्जना गूंजेगी
वियज पताका फहरेगा
विजय ध्वनि फिर गूंजेगी ।
हृदय अति आनंदित कर लो
कष्ट सभी मिट जाएगा
अंतर्मन को निर्मल कर लो
जग सुंदर बन जायेगा ।
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