जीत कर या हार कर खुद का तू र्निमाण कर
खुद को तू कुछ यूं बना दुनिया तेरी मिशाल दे
दुनिया में फैली गंदगी से खुद को तू निकाल ले
खुद बना आर्दश ढाँचा खुद को उसमे ढाल ले
हो कोई यदि सही उसका तू सम्मान कर
जीत कर या हार कर खुद का तू र्निमाण कर |
चुप न रह यदि हो गलत खुद गलत तो मौन हो ले
कर प्रतिज्ञा जीत की फिर इसे कौन तोड़े
न्याय का इक बांट ला खुद को उसमे तौल ले
हो जरा भी गलत तुझसे उसको तू स्वीकार कर
जीत कर या हार कर खुद का तू र्निमाण कर |
हो परिस्थिति प्रतिकूल पर न अपना धैर्य खोना
हो समस्या चाहे विकट उसमे न हताश होना
यदि कदम रूक जाए मन में आशा के तू बीज बोना
हर मुसीबत के लिए खुद को तू तैयार कर
जीत कर या हार कर खुद का तू र्निमाण कर |
खुद के बाद दृष्टि तू इक समाज पर भी लगा
एक आदर्श स्वरूप समाज को भी तू दिखा
जन जन की पीड़ा को अपनी पीड़ा तू बना
हर दबे कुचले जनो को फिर तू उर्जावान कर
खुद को तू कुछ यूं बना दुनिया तेरी मिशाल दे
दुनिया में फैली गंदगी से खुद को तू निकाल ले
खुद बना आर्दश ढाँचा खुद को उसमे ढाल ले
हो कोई यदि सही उसका तू सम्मान कर
जीत कर या हार कर खुद का तू र्निमाण कर |
चुप न रह यदि हो गलत खुद गलत तो मौन हो ले
कर प्रतिज्ञा जीत की फिर इसे कौन तोड़े
न्याय का इक बांट ला खुद को उसमे तौल ले
हो जरा भी गलत तुझसे उसको तू स्वीकार कर
जीत कर या हार कर खुद का तू र्निमाण कर |
हो परिस्थिति प्रतिकूल पर न अपना धैर्य खोना
हो समस्या चाहे विकट उसमे न हताश होना
यदि कदम रूक जाए मन में आशा के तू बीज बोना
हर मुसीबत के लिए खुद को तू तैयार कर
जीत कर या हार कर खुद का तू र्निमाण कर |
खुद के बाद दृष्टि तू इक समाज पर भी लगा
एक आदर्श स्वरूप समाज को भी तू दिखा
जन जन की पीड़ा को अपनी पीड़ा तू बना
हर दबे कुचले जनो को फिर तू उर्जावान कर
जीत कर या हार कर खुद का तू र्निमाण कर |
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