बिखरे पन्ने जैसा हूँ मैं
खुली किताब दिखाई मैंने
निज मन व्यथा बताकर फिर
आशा एक जताई मैंने
आशा में विश्वास भरो तुम
अपने मन को खोलो तो
मैंने तो सब बोल दिया है
अब तुम भी कुछ बोलो तो । 1
खुली किताब दिखाई मैंने
निज मन व्यथा बताकर फिर
आशा एक जताई मैंने
आशा में विश्वास भरो तुम
अपने मन को खोलो तो
मैंने तो सब बोल दिया है
अब तुम भी कुछ बोलो तो । 1
आंखों में आँसू देखें हैं
पानी में चिंगारी भी
ढहते किले दिनों में देखे
तम में एक तैयारी भी
अन्तर्मन की गहराई से
अपनी नब्ज़ टटोलो तो
मैंने तो सब बोल दिया है
अब तुम भी कुछ बोलो तो । 2
मेरा मन अति शांत सिथिल
तनिक कहीं न धारा है
थककर जब भी रुक जाओगे
चारों ओर किनारा है
ताक पे रखके राज रियासत
सच्चे मन को तोलो तो
मैंने तो सब बोल दिया है
अब तुम भी कुछ बोलो तो । 3
तनिक कहीं न धारा है
थककर जब भी रुक जाओगे
चारों ओर किनारा है
ताक पे रखके राज रियासत
सच्चे मन को तोलो तो
मैंने तो सब बोल दिया है
अब तुम भी कुछ बोलो तो । 3
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