Monday, September 25, 2017

मैंने तो सब बोल दिया है अब तुम भी कुछ बोलो तो




बिखरे पन्ने जैसा हूँ मैं
खुली किताब दिखाई मैंने
निज मन व्यथा बताकर फिर
आशा एक जताई मैंने
आशा में विश्वास भरो तुम
अपने मन को खोलो तो
मैंने तो सब बोल दिया है
अब तुम भी कुछ बोलो तो । 1

                       आंखों में आँसू देखें हैं
                       पानी में चिंगारी भी
                       ढहते किले दिनों में देखे
                       तम में एक तैयारी भी
                       अन्तर्मन की गहराई से
                       अपनी नब्ज़ टटोलो तो
                       मैंने तो सब बोल दिया है
                      अब तुम भी कुछ बोलो तो । 2
मेरा मन अति शांत सिथिल
तनिक कहीं न धारा है
थककर जब भी रुक जाओगे
चारों ओर किनारा है
ताक पे रखके राज रियासत
सच्चे मन को तोलो तो
मैंने तो सब बोल दिया है
अब तुम भी कुछ बोलो तो । 3

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