मैंने भी चलना सीखा है , सौ बार फिसल कर गिरने से
ख़ुद को यूँ मजबूत बनाया , बार बार बिखरने से
न जाने मैं कितना भागा , पर नदियों के किनारे हूँ
दिन में चुप हूँ पर रातों में , मैं भी चाँद सितारे हूँ ।
उठती लहरों सा मन मेरा , सागर एक समाया है
ख़ुद को खोकर ही मैंने , ख़ुद को आज बनाया है
चला आज मैं आगे को तो , पीछे राह निहारे हूँ
भले उजाले दूर खड़े पर , मैं भी चाँद सितारे हूँ ।
मैं कितना आगे जाऊंगा , समय मुझे बतलायेगा
पहुँचूँगा मैं शून्य ,शिखर या , अस्तित्व मेरा मिट जाएगा
समय रहेगा मेरा साथी , मन में यही विचारे हूँ
मौन रहूं या फिर मैं गाऊँ , मैं भी चांद सितारे हूँ ।
विश्वास रहा यदि मन में तो , पथ स्वनिर्मित हो जाएगा
जब भी सुमन खिलेगा वह , पथ मेरा महकाएगा
सूरज से ही सीखा है फिर , एकटक उसे निहारे हूँ
भले रौशनी मद्धम है पर , मैं भी चाँद सितारे हूँ ।
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