Sunday, March 4, 2018

हां शायद तुमने देखा हो ।

देखा हो तुमने जब मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत थी
और तुम दूर खड़े मेरे बिखर जाने का इंतज़ार कर रहे थे ,
देखा हो तुमने जब मैं तुम्हारी यादों को एक तार में पिरो रहा था
और तुम बड़ी क़ाबिलियत से मेरी यादों को तार तार कर रहे थे ,
देखा हो तुमने शायद जब मैं तुम्हारे साथ के सपने देख रहा था
और तुम नजरें चुराकर सारे सपने बेकार कर रहे थे,
देखा हो शायद तुमने तब भी जब मेरी आँखें नम थीं
और तुम चुपचाप उनके बह जाने का इंतज़ार कर रहे थे,
देखा हो तुमने जब मैं तुम्हारी सारी गलतियां माफ़ करता था
और तुम जान बूझकर वही गलतियां बार बार कर रहे थे,
रही होगी तुम्हारी भी कई मजबूरियां , शायद ?
यूं ही नहीं तुम आँखों को चुराकर जुबां से इनकार कर रहे थे,
देखा हो तुमने मैं मेरे टूट जाने पर भी खड़ा था
और तुम तेज़ हवाओं के चलने का इंतज़ार कर रहे थे,
देखा हो तुमने जब मैं तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा महीनों करता था
और तुम मेरे हर प्रश्न को सफाई से दरकिनार कर रहे थे,
देखा हो तुमने शायद अपनी बेपरवाही मेरे लिए
और हम तुम्हे जाने किस हद तक प्यार कर रहे थे ,
हाँ शायद तुमने देखा हो जब मैं पूरी तरह फर्श पर पड़ा था
और तुम बरखा के बरस जाने का इंतजार कर रहे थे,
देखा हो तुम्हे जब मैं तुम्हारी हर याद को नायाब बना रहा था
और तुम बखूबी सारी यादों का कारोबार कर रहे थे ।

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