Thursday, July 18, 2019

I am Dying..

Now it's very important for me to write today. I am not sad, I am not tired, I am not hopeless, I am not even negative. I am just dying. Dying to talk to me, dying to open myself, dying to cry, dying to explain myself .What you can do for me? Can offer me some pain killer or a little bit of poison? Your answer might be no or it can be yes also. So what if your answer is yes ? Again here a question and the question is "what" ? Finding difficult to understand or you don't want to understand? So what if you don't want to understand? Again a question "what" ? I am not begging your sympathy so don't need be rude with me . I want to teach you something. I am you. Try to see me. Let's see what will you found. There are two cases either you will loss yourself or you will find me. Read it once again, either you will lose yourself OR you will find me.

Tuesday, April 23, 2019

विश्वास

एक मामूली सा शब्द 'विश्वास' कितनी गहरा असर छोड़ जाता है । अलग अलग लोगों के लिए यह शब्द अलग अलग मायने रखता है । विश्वास कोई वस्तु नहीं कि किसी को दे दिया जाए या किसी से ले लिया जाए यह एक भाव होता है जो मन में स्वतंत्रता के बाद जन्म लेता है । कौन आप पर या आप किस पर विश्वास कर रहें हैं इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि किस परिस्थिति में आप वह विश्वास कर रहे हैं । तमाम बार परिस्थितियां मज़बूत हौसलों को भी तोड़ने में कामयाब हो जाती हैं , इसमें हमारी ही कमी होती है और वह है विश्वास की कमी । जब तक हमें हमारे कदमों पर विश्वास है कोई भी उन्हें डगमगा नहीं सकता । सोचिए ! ऐसा ही विश्वास आप पर कोई कर रहा है । इस भौतिकतावादी संसार में आपको कहने के अनगिनत लोग मिल जाएंगे जो कहेंगे उन्हें आप पर पूर्ण विश्वास है । इन्ही सब बाह्य आडम्बरों के बीच एक ऐसा सख़्श  होता है जो आप पर अटूट विश्वास किये है , आपके बढ़ते रहने पर विश्वास, आपकी जीत पर विश्वास, आपके काम पर विश्वास । शायद उस सख़्श को ख़ुद पर ऐसा विश्वास न हो जैसे वह आप पर करता है । कई दफ़ा हम हताश हो जाते हैं लेकिन वह हममे एक नया ज़ोर भरता है । वो पिता होता है जो दिल की गहराइयों से आप पर विश्वास किये है । मां एक पल के लिए भावुक हो सकती हैं पर पिता कभी नहीं । मां के आंसू सभी ने देखे होंगे लेकिन पिता की नम आंखें शायद ही कभी देखी हों । ऐसा नहीं है वह कमज़ोर नहीं है पर उसे पता है कि अगर वह कमज़ोर हुआ तो शायद हम भी हो जाएं इसलिए बिना किसी से कुछ कहे वह ख़ुद में एक अगल दुनिया बताना जाता है । कभी समय मिले तो उस दुनिया में जाने की एक कोशिश जरूर करना , निःसंदेह वहां की सारी खुशियों पर बस आपका नाम होगा । कई दफ़ा आपको पता भी नहीं होता है कि आपकी जरूरतों और ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए वो कितनी दूर चला । एक खिलौनों को ख़रीदने के लिए क्या कुछ नहीं किया । कभी समय मिले तो अपने पिता से एक दफ़ा उनके ही लहज़े में बात करना , दुनिया की आधी ख़ुशी आपको सिर्फ़ उन्हें सुनने से मिल जाएगी ।

सम्पूर्ण पितृशक्ति को समर्पित........

Friday, March 8, 2019

Towards Infinity

Negative thoughts come in everyone's mind. Who is not depressed or who is not disappointed. The attitude of seeing life is different for everyone. I believe life is a journey, may be your prospective might be different. I am looking for a solution to countless questions and the most ridiculous thing is that I have not been able to reach those questions whose answer I am in search of. This is the most difficult task in human life when he does not know where to go, but to continue walking. Somewhere this is life. I am also going through a similar situation today. I'm looking for something but what? I am also in search of this 'what'? It is not that I am sad or I am depressed. I am not even disappointed. I am not even a victim of negativity. I am just looking for ............ looking for myself. I want to go to infinitely in dim yellow light. I do not have to wait. Just have to go. To go.... Till infinity..... (Contd...)

Monday, March 4, 2019

बदलाव

व्यक्ति के जीवन में किस चीज का कितना महत्व है और वह उसे किस तरह से महत्व देता है, यह देखना बड़ा दिलचस्प होता है । आवश्यकता के अनुसार महत्त्व या महत्व के अनुसार आवश्यकता यह व्यक्ति के विवेक पर निर्भर करता है । संभावनाएं तब तक व्यक्ति के साथ होती हैं जब तक वह जीवित है । हर क्षण नई संभावनाएं जन्म लेती हैं । चूंकि समय अनंत है अतैव संभावनाएं भी अपार हैं । विवेक से संभावनाओं का उचित प्रयोग करना सफलता के कुछ मूल मंत्रों में से एक है । कोई व्यक्ति किसी से कमजोर नहीं है । हर व्यक्ति सफलता के सर्वोच्च शिखर तक जा सकता है किन्तु कुछ भी करने से पहले उस पर विचार करना उससे जुड़ी हरेक संभावना पर भी दृष्टि डालना आवश्यक होता है । समय कहां और किसे मात दे दे यह सिर्फ समय को पता होता है और अगर आपको यह देखना है तो समय के साथ चलिए । इस ब्रह्मांड में सिर्फ़ समय है जो नियत है और निरंतरता इसकी नियति । 'बदलाव' समय का एकमात्र गुण है जो उसे अमूल्य बनाता है । इसलिए समय से साथ बदलना अत्यंत आवश्यक है.............(ज़ारी)

Sunday, March 3, 2019

जीवन (1)

जब एक साधारण व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता ख़त्म हो जाये, क्या करना उचित होगा और क्या अनुचित; जब इनमें भेद करना नामुमकिन सा लगने लगे, जब साफ़ रास्ते भी धुंधले दिखें और जब एक भय मन में इस तरह आ जाये कि वह आपको कुछ करने से रोकने लगे तब यह नकारात्मकता की स्थिति होती है । तमाम बार हमारे नकारात्मक विचार हमारी सकारात्मकता पर ज़्यादा प्रभावी हो जाते हैं । ऐसे में कोई क्या करे जब उस पर नकारात्मकता हावी हो । जब रास्ते साफ़ न दिखाई दे रहे हों तब कोई क्या करे ? ऐसे अनगिनत प्रश्न हैं जिनका उत्तर तो हमारे सामने ही होता है लेकिन वो हमें दिखाई नहीं देता । अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो प्रकाश की एक छोटी सी किरण ही उसे चीर देती है । नकारात्मकता भी वही घना अंधेरा होता है जिसे सकारत्मकता की एक छोटी किरण ख़त्म कर सकती है । किन्तु नकारत्मकता की उस स्थिति में एक भी सकारात्मक विचार नहीं आ पाते, ऐसे में क्या किया जाए ? कभी हमने उस वृक्ष के बारे में सोच है जो पत्थर को चीरकर निकलता है या कभी उन लहरों के बारे में जो सतत और अथक प्रयास से पत्थर को भी काट देती हैं । तमाम बार वह हर कुछ हमारे सामने होता जिसकी हमें तलाश होती है किंतु हम इतने निराश होते हैं कि हम वह सब कुछ देख ही नहीं पाते । हर विषम परिस्थिति में अपने आप को शांत रखना प्रकृति में पूर्ण आस्था रखना और आने वाले कल में अटूट विश्वास रखना ही सकारात्मकता तक ले जाने का एकमात्र उपाय है । हर विषम परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना, सकारात्मकता के साथ उसका हल ढूढ़ना और प्रकृति पर विश्वास रखते हुए साधना पथ पर चलते जाना ही जीवन है..............(जारी)

Saturday, March 2, 2019

आत्म संवाद (1)

क्यों न फ़िर से एक नई कहानी शुरू की जाए । क्यों न फ़िर से एक दूसरे से जुड़ने का ज़रिया निकाला जाए । क्यों न शाम को चौपाल पर बैठकर सबका दुःख दर्द बांटा जाए और क्यों न अपने अंदर के मानवीय गुणों को बाहर निकाला जाए । हम दूसरों से अपेक्षा क्यों करते हैं ? क्या सिर्फ़ इसलिए कि हम मदद स्वयं करने के योग्य नहीं या हम पूरी तरह दूसरों पर निर्भर होना चाहते हैं ? क्यों न कुछ ऐसे प्रश्नों के हल ढूंढने के प्रयास किया जाए जो सिर्फ़ हमें पता है । अगर हम अपने प्रति ईमानदार नहीं हैं तो हम दूसरों के ईमानदार होने की कल्पना भी कैसे कर सकते हैं । बुराईयां और परेशानी कहां नहीं है ? अगर जीवन में उतार चढ़ाव नहीं है तो कैसा जीवन ? चलो ख़ुद से एक प्रश्न करते हैं कि क्या हम वास्तव में वही हैं जो हमें देख या समझ रहे हैं ? क्या हम वास्तव में वही कर रहे हैं जो हमें करना था ? क्या हम उसी राह पर हैं जो हमें हमारी मंज़िल तक ले जाएगी ? ऐसे न जाने कितने प्रश्न हैं जिनका उत्तर खोज़ना शायद बेहद जरूरी है । तो क्या हम अपने निर्माण की राह पर हैं या हमें स्वयं को तलाशने की आवश्यकता है ? आत्म संवाद अत्यंत आवश्यक है । कुछ पल के लिए स्वयं को इस भौतिक संसार से अलग मानकर क्यों न इन प्रश्नों के उत्तर की तलाश की जाए ? या जीवन सिर्फ़ अपेक्षाओं पर चलेगा ? शायद स्वयं का निर्माण नितांत आवश्यक है । क्यों न एक यात्रा स्वयं के तलाश की हो..............(जारी)

Monday, May 21, 2018

मैं वेदना की गहराई लिखता हूं

शब्द मेरे हम इंसानों सा रोते हैं
मैं वेदना की गहराई लिखता हूं ,

उजाले में हर कोई साथ चलता है
अंधेरों में भी मैं परछाई लिखता हूं ,

अपने दुःख में मैं चुप हो जाता हूं
दूसरों के सुख में शहनाई लिखता हूं ,

मैं चुप होके भी कुछ कह जाता हूं
ऐसे एहसासो की करिश्माई लिखता हूं ,


जो न हो सबके हित और पक्ष में
ऐसी वृद्धि को मैं महंगाई लिखता हूं ,

उजालों तक ही हों जो सीमित कदम
इसको ही स्वार्थ पूर्ण हिताई लिखता हूं,

जहां पवित्र हो जाये आत्मा मिले शांति
उनको ही मैं सावन रमजायी लिखता हूं ,

जहां न हो भेदभाव न कोई ऊंच नीच
ऐसे व्यवहार को प्रभुताई लिखता हूं ,

दिल का सरल होना भी बेहद जरूरी है
सबके हृदयं में एक नरमाई लिखता हूं ,

बात जहां हो सम्मान के रक्षा की
उस स्थिति में मैं कड़ाई लिखता हूं ,

कठिन परिस्थितियों में सरल व्यवहार
ऐसे मनः दशा को चतुराई लिखता हूं ,

मैं इंसानों को भी पर दे दूं परिंदों सा
फ़िर आकाश कोअनंत ऊंचाई लिखता हूं ,

जहां से करें मानवता का अमृतपान हम
गुरुबान क़ुरान गीता व चौपाई लिखता हूं ,

मानव सेवा ही मेरा धर्म रहा सदा से ही
मैं तो रब ख़ुदा ईश रघुराई लिखता हूं

अच्छों के साथ अच्छा बुरों के साथ भी
देखा हरदम अच्छा है न बुराई लिखता हूं ,

जिस मचान पर ठिठुर गयी ख़ुद सर्दी भी
उस ठिठुरन को ही मैं रज़ाई लिखता हूं ,

जब स्वार्थ ही नींव हो जाये रिश्तों की
फ़िर इनसे मैं बेहतर तन्हाई लिखता हूं ,

जब भी निराश हो झगझोर दे मन को
एहसासों की ऐसे में गरमाई लिखता हूं ,

इस विस्तृत भू भाग की संरचना है अद्भुत 
पहाड़ों की ऊंचाई कहीं राई लिखता हूं ,

एक ऐसा स्वरूप जिसमे है निःस्वार्थ प्रेम
मां माता अम्मी कहीं माई लिखता हूं

बेनक़ाब चेहरों पर रंग नहीं चढ़ते हैं
सादगी को भी अलग रंगाई लिखता हूं ,

अपने दर्द में मैं चुप चाप रो लेता हूं
फ़िर दूसरों के दर्द की दवाई लिखता हूं ,

जहां बांध दे दीवारे चलने से हमें
वहां कुछ मार्ग हवाई लिखता हूं ,

तूफ़ानों की भीअपनी एक कहानी होती है
हवा के रुख़ को पुरवाई लिखता हूं ,

कुछ विरोभाष मन में जो छिपे हैं
मैं ऐसे विचारों की सफ़ाई लिखता हूं ,

खेल कभी कुछ एहसासों को तोड़ते है
मैं कुछ खेल तमाशाई लिखता हूं ,

जहां टूट जाये उम्मीद और हार जाएं हम
वहां मैं विश्वासों की भराई लिखता हूं ,

गिर जानेपर भी पेड़ों में शाख निकलती है
इसको ही क़ुदरत कीरहनुमाई लिखता हूं ,

इस प्रकृति का रहस्य अनन्त है यहाँ
कहीं नदियां पहाड़ कहीं खाई लिखता हूं ,

गलतियों को मैं अपनी कभी नहीं छुपाता
कभी हिसाब तोकभी भरपाई लिखताहूं ।

एक कदम

पिछले कुछ महीनों में एक बात तो समझ में आ गयी कि इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है। और स्थायित्व की कल्पना करना, यथार्थ से दूर भागने जैसा ह...